बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि मुंबई में फुटपाथों और सार्वजनिक सड़कों पर अनधिकृत फेरीवालों को स्थायी रूप से कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने बीएमसी को पॉप-अप मार्केट या मोबाइल वेंडिंग अवधारणा पर विचार करने का सुझाव दिया। जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल की खंडपीठ ने 16 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि एक व्यक्ति के सांविधानिक अधिकार का मतलब पैदल यात्रियों के लिए स्वतंत्र और सुरक्षित फुटपाथ के अधिकार का उल्लंघन नहीं हो सकता है। पीठ ने पिछले साल शहर में अवैध विक्रेताओं के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। इसमें कहा गया है कि याचिका में एक बुनियादी सवाल उठता है कि यह शहर किसके लिए है क्योंकि इस स्थान के लिए प्रतिद्वंद्वी प्रतियोगी हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह अकल्पनीय है कि एक बिना लाइसेंस वाला स्ट्रीट वेंडर सार्वजनिक सड़क पर स्थायित्व का दावा कर सकता है। इससे पैदल चलने वालों और अन्य कर देने वाले नागरिकों के सांविधानिक अधिकार प्रभावित होंगे। हाईकोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं देखते हैं कि सार्वजनिक स्थान पर बिना लाइसेंस वाले विक्रेता द्वारा दावा किया गया कि अनुच्छेद 19 का अधिकार (आजीविका का) उस सार्वजनिक स्थान के अन्य उपयोगकर्ताओं की कीमत पर भूमि के अधिकार में कैसे तब्दील हो सकता है। आजीविका के अधिकार को हमेशा कानून के अनुसार विनियमित किया जा सकता है।
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