भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा कि विश्व अंतरिक्ष समुदाय को पृथ्वी की कक्षा से परे जाने के लिए कौशल विकसित करने की जरूरत है। इसरो प्रमुख सोमनाथ 42वीं अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) की उद्घाटन बैठक में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘जब आप भविष्य के अन्वेषण पर विचार कर रहे हों, तो संभवतः पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली और सौर ग्रह अन्वेषण की तरह पृथ्वी की कक्षा से परे जाने के लिए हमें कौशल विकसित करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि उन सभी क्षेत्रों में भी भीड़ हो रही है। खासकर चांद के क्षेत्र में। मेरा मानना है कि यह समूह आने वाले दिनों में उस पहलू को और अधिक विस्तार से देखेगा।’ इस दौरान इसरो प्रमुख ने एलान किया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक अंतरिक्ष मिशन को मलबा मुक्त बनाना है। उन्होंने कहा, ‘2023 तक सभी भारतीय अभिनेताओं, सरकारी और गैर-सरकारी की मदद से अंतरिक्ष मिशन को मलबा मुक्त बनाना है। मलबा पैदा न हो इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत तंत्र और ढांचा बना रहा है।’ उन्होंने आगे कहा कि हम अंतरिक्ष प्रणालियों के भीतर तंत्र और संरचनाएं बना रहे हैं ताकि बड़ी संख्या में मलबा पैदा न हो सके। पिछले कई सालों से बहुत कुछ अच्छा चल रहा है। हमें आने वाले दिनों में इन सभी गतिविधियों को और मजबूत करने की जरूरत है। इसरो प्रमुख ने यह सुनिश्चित करने का भी प्रस्ताव दिया कि लगभग 400 किलोमीटर की कक्षा सुरक्षित है ताकि अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अधिक अंतरिक्ष स्टेशन आ सकें। उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के लक्ष्य के साथ हम कक्षाओं को देखते हैं जहां 400 किमी की ऊंचाई पर और भी अंतरिक्ष स्टेशन बनने वाले हैं। मुझे लगता है कि अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थिति के लिए इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए।’