पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण के मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़े ‘देरी’ से जारी करने के लिए बुधवार को निर्वाचन आयोग की आलोचना की. ममता ने इन दो चरणों के मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि पर भी चिंता जताई. अल्पसंख्यक बहुल मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में लगातार दो रैलियों को संबोधित करते हुए बनर्जी ने केंद्र पर राज्य की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, क्योंकि यहां अल्पसंख्यक और पिछड़े समुदायों का प्रतिशत अधिक है. आयोग ने 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को हुए पहले दो चरणों के मतदान प्रतिशत का अंतिम आंकड़ा मंगलवार शाम को सार्वजनिक किया. आयोग के अनुसार, लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान प्रतिशत 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत दर्ज किया गया. ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने पहले जो आंकड़े जारी किए थे, अंतिम मतदान प्रतिशत में उनसे करीब 5.75 प्रतिशत की अचानक वृद्धि चिंताजनक है. भाजपा द्वारा चुनाव परिणामों में हेरफेर किए जाने की आशंका है, क्योंकि कई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कई दिन तक गुम रहीं.” तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि न केवल चिंताजनक है, बल्कि ईवीएम की प्रामाणिकता पर भी गंभीर आशंका पैदा करती है. उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को ईवीएम निर्माताओं का ब्योरा सार्वजनिक करना चाहिए, क्योंकि भाजपा चुनाव जीतने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है.” ममता ने भाजपा को ‘जुमला’ पार्टी करार देते हुए कहा कि उसकी रुचि झूठे वादे करके केवल लोकप्रियता हासिल करने में है. रैली में ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस को वोट न दें, क्योंकि वे भाजपा के एजेंट हैं. माकपा या कांग्रेस को वोट देने का मतलब है भाजपा को वोट देना और भाजपा को वोट देने से आपके लोकतांत्रिक अधिकार छिन जाएंगे. ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कोई ‘इंडिया’ गठबंधन नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘माकपा और कांग्रेस, दोनों ही दल अल्पसंख्यक बहुल सीट पर चुनाव लड़ रही हैं, ताकि वे तृणमूल के वोट काटकर भाजपा की मदद कर सकें.” लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान हो रहा है. पांच चरण का मतदान अभी बाकी है. मतगणना चार जून को एकसाथ होगी.